नाथ परंपरा

नाथ परंपरा

नाथ सम्प्रदाय भारत की प्राचीनतम योग परंपराओं में से एक है, जिसकी शुरुआत आदियोगी भगवान शिव से मानी जाती है। नाथ परंपरा के प्रमुख सिद्ध योगी मच्छिन्द्रनाथ जी और गोरखनाथ जी ने इस मार्ग को समाज में स्थापित किया।

यह परंपरा केवल साधना का मार्ग नहीं, बल्कि
शक्ति, ध्यान, आत्म-ज्ञान और शरीर-मन-चेतना के जागरण का विज्ञान है।

नाथ परंपरा के मुख्य सिद्धांत

शिव-तत्व का साधन

हठयोग व नाथ योग के माध्यम से शरीर और चेतना का विकास

तंत्र, मंत्र और ऊर्जा-साधना का संतुलित प्रयोग

स्वयं की शक्ति का बोध और जीवन में आत्मनिर्भरता

त्याग नहीं, संतुलित जीवन का संदेश

नाथ सिद्धों का मानना है कि

मनुष्य अपने भीतर स्थित दिव्य ऊर्जा को पहचान ले, तो वह स्वयं ही सिद्ध बन सकता है।

आज यह परंपरा भारत और नेपाल सहित कई देशों में फैली हुई है।
आधुनिक समय में नाथ सम्प्रदाय की साधना को सरल, प्रभावी और जीवनोपयोगी स्वरूप में जनमानस तक पहुँचाने का कार्य योगी बाबा दीपकनाथ जी जैसे सिद्ध गुरु कर रहे हैं।

“शिव मार्ग पर चलकर जीवन पूर्ण, शांत और प्रकाशमय बनता है।”

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